समुद्र से समृद्धि भावनगर
समुद्र से समृद्धि भावनगर

रायपुर 20 सितंबर 2025 / ETrendingIndia / India’s coastline will become gateway to the nation’s prosperity: PM Modi, ‘Sea to Prosperity’ programme in Bhavnagar, inauguration and foundation stone laying of development works worth Rs 34 thousand crore / समुद्र से समृद्धि भावनगर , प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के भावनगर में 34,200 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी का भारत समुद्र को अवसरों के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखता है।

क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आज मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का भी उद्घाटन किया गया है।

समुद्र से समृद्धि भावनगर , प्रधानमंत्री ने कहा आज दुनिया में भारत का कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, लेकिन सही मायने में भारत का सबसे बड़ा दुश्मन दूसरे देशों पर निर्भरता है।”

वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना होगा। 140 करोड़ भारतीयों का भविष्य बाहरी ताकतों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता ।

श्री मोदी ने कहा सौ समस्याओं का एक ही समाधान है – आत्मनिर्भर भारत का निर्माण।

श्री मोदी ने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से एक अग्रणी समुद्री शक्ति और दुनिया के सबसे बड़े जहाज निर्माण केंद्रों में से एक रहा है।

भारत घरेलू रूप से निर्मित जहाजों का उपयोग करता था और 40 प्रतिशत से अधिक आयात-निर्यात उनके माध्यम से किया जाता था।

विपक्षी दल की आलोचना करते हुए कहा कि शिपिंग क्षेत्र बाद में उनकी गुमराह नीतियों का शिकार हो गया और घरेलू जहाज निर्माण को मजबूत करने के बजाय, उन्होंने विदेशी जहाजों को माल ढुलाई का भुगतान करना पसंद किया। इससे भारत का जहाज निर्माण इकोसिस्टम ध्वस्त हो गया और विदेशी जहाजों पर निर्भरता बढ़ गई।

परिणामस्वरूप, व्यापार में भारतीय जहाजों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गई।

श्री मोदी ने कहा कि भारत शिपिंग सेवाओं के लिए विदेशी शिपिंग कंपनियों को हर साल लगभग 75 बिलियन डॉलर – यानी लगभग छह लाख करोड़ रुपये का भुगतान करता है। यह राशि भारत के वर्तमान रक्षा बजट के लगभग बराबर है।

यदि इस व्यय का एक छोटा सा हिस्सा भी पिछली सरकारों द्वारा भारत के शिपिंग उद्योग में निवेश किया गया होता, तो आज दुनिया भारतीय जहाजों का उपयोग कर रही होती और भारत शिपिंग सेवाओं से लाखों करोड़ रुपये कमा रहा होता।

प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो उसे आत्मनिर्भर बनना ही होगा, आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं है चाहे वह चिप्स हों या शिप, वे भारत में ही बनने चाहिए।”

उन्होंने घोषणा की कि आज से देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को कई दस्तावेजों और खंडित प्रक्रियाओं से मुक्त कर दिया जाएगा। ‘एक राष्ट्र, एक दस्तावेज’ और ‘एक राष्ट्र, एक बंदरगाह’ प्रक्रिया के कार्यान्वयन से व्यापार और वाणिज्य सरल हो जाएगा।

औपनिवेशिक काल के कई पुराने कानूनों में संशोधन किया गया। समुद्री क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए गए हैं और पाँच समुद्री कानूनों को नए रूप में पेश किया गया है। ये कानून शिपिंग और बंदरगाह प्रशासन में बड़े बदलाव लाएंगे।

श्री मोदी ने एक बड़े नीतिगत सुधार की घोषणा की जिसके तहत अब बड़े जहाजों को बुनियादी ढाँचे का दर्जा दिया गया है।

जहाज़ निर्माण कंपनियों को अब बैंकों से ऋण प्राप्त करना आसान होगा और उन्हें कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा।

शइस निर्णय से भारतीय शिपिंग कंपनियों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता आसान होगी, शिपयार्ड आधुनिक तकनीक अपनाने में सक्षम होंगे और डिज़ाइन एवं गुणवत्ता मानकों में सुधार होगा।

आने वाले वर्षों में इन योजनाओं में 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण कोई साधारण उद्योग नहीं है; इसे विश्व स्तर पर “सभी उद्योगों की जननी” कहा जाता है क्योंकि यह कई संबद्ध क्षेत्रों के विकास को गति देता है।

जहाज निर्माण में निवेश किया गया प्रत्येक रुपया लगभग दोगुना आर्थिक लाभ देता है। एक शिपयार्ड में सृजित प्रत्येक रोजगार आपूर्ति श्रृंखला में छह से सात नए रोजगारों का सृजन करता है, जिसका अर्थ है कि 100 जहाज निर्माण रोजगार संबंधित क्षेत्रों में 600 से अधिक रोजगारों का सृजन कर सकते हैं ।

भारत के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और समुद्री विश्वविद्यालय के योगदान को और बढ़ाया जाएगा।

हाल के वर्षों में तटीय क्षेत्रों में नौसेना और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के बीच समन्वय के माध्यम से नए ढाँचे विकसित किए गए हैं। एनसीसी कैडेट अब न केवल नौसैनिक भूमिकाओं के लिए, बल्कि वाणिज्यिक समुद्री क्षेत्र में ज़िम्मेदारियों के लिए भी तैयार होंगे।

उन्होंने बताया कि बड़े जहाजों को समायोजित करने के लिए देश भर में बड़े बंदरगाहों का विकास किया जा रहा है और सागरमाला जैसी पहलों के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा रहा है। देश भर में नए और बड़े बंदरगाहों का निर्माण किया जा रहा है।

हाल ही में, केरल में भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह का संचालन शुरू हुआ है।

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि महाराष्ट्र में वधावन बंदरगाह का विकास 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जा रहा है और यह दुनिया के शीर्ष दस बंदरगाहों में शामिल होगा।

वर्तमान में भारत वैश्विक समुद्री व्यापार का 10 प्रतिशत हिस्सा है, श्री मोदी ने इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया .

वर्ष 2047 तक, भारत का लक्ष्य वैश्विक समुद्री व्यापार में अपनी भागीदारी को तीन गुना करना है और वह इसे हासिल करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे समुद्री व्यापार बढ़ रहा है, भारतीय नाविकों की संख्या भी बढ़ रही है।
एक दशक पहले, भारत में 1.25 लाख से भी कम नाविक थे। आज यह संख्या तीन लाख को पार कर गई है।

भारत अब दुनिया भर में सबसे अधिक नाविकों की आपूर्ति करने वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल है।
भारत के पास एक समृद्ध समुद्री विरासत है, जिसका प्रतीक उसके मछुआरे और प्राचीन बंदरगाह शहर हैं, श्री मोदी ने कहा कि भावनगर और सौराष्ट्र क्षेत्र इस विरासत के प्रमुख उदाहरण हैं।

उन्होंने घोषणा की कि लोथल में एक विश्व स्तरीय समुद्री संग्रहालय विकसित किया जा रहा है, जो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तरह भारत की पहचान का एक नया प्रतीक बनेगा।

श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में समुद्री मार्गों से आने वाले 40 प्रतिशत माल का संचालन गुजरात के बंदरगाहों द्वारा किया जाता है और ये बंदरगाह जल्द ही समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) से लाभान्वित होंगे, जिससे देश के अन्य हिस्सों में माल की तेज़ आवाजाही संभव होगी .

श्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में एक मज़बूत जहाज-तोड़ने का इकोसिस्टम उभर रहा है, जिसका एक प्रमुख उदाहरण अलंग शिप ब्रेकिंग यार्ड है।

इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्रीय मंत्री श्री सी. आर. पाटिल, श्री सर्बानंद सोनोवाल, डॉ. मनसुख मांडविया, श्री शांतनु ठाकुर, श्रीमती निमुबेन बंभानिया सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।