रायपुर, 26 सितंबर 2025/ ETrendingIndia / Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan: 40,000 pregnant women screened in two days, 10,000 high-risk pregnancies identified and managed in time / प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान , “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में मातृत्व सुरक्षा को लेकर विशेष स्वास्थ्य सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।
इसी तारतम्य में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के तहत 24 और 25 सितंबर को प्रदेश के 843 शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित इन सत्रों में 40 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं ने भाग लिया।
उन्हें निःशुल्क स्वास्थ्य जांच, परामर्श और उपचार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
“छत्तीसगढ़ की महतारी, हम सबकी जिम्मेदारी” की थीम पर आधारित इस विशेष अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर को घटाना तथा उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की समय रहते पहचान कर उन्हें समुचित उपचार उपलब्ध कराना है।
इन सत्रों में हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, वजन, रक्त परीक्षण, अल्ट्रासाउंड एवं पोषण परामर्श जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दी गईं।
इस दौरान लगभग 10 हज़ार से अधिक महिलाओं को ‘उच्च जोखिम गर्भावस्था’ (High-Risk Pregnancy) की श्रेणी में चिन्हित कर विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श और सतत निगरानी में लाया गया, जिससे संभावित जटिलताओं का समय रहते उपचार संभव हो सका।
अभियान अंतर्गत 6 हज़ार से अधिक महिलाओं की अल्ट्रासोनोग्राफी भी की गई।
दूरस्थ अंचलों की महिलाओं के लिए यह सेवाएं विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हुईं।
कार्यक्रम की निगरानी हेतु राज्य एवं जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा 187 सत्रों का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया गया।
इसी अभियान के अंतर्गत बिलासपुर जिले ने मातृत्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज़ ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सहयोग से जिले के हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवाएं पहुंचाई गईं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि
मातृ मृत्यु दर में कमी लाना और हर बहन को सुरक्षित मातृत्व उपलब्ध कराना हमारी प्रतिबद्धता है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान प्रत्येक माह की 9 और 24 तारीख को आयोजित किया जाता है, लेकिन विभाग द्वारा “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान को देखते हुए सितंबर माह में इसका दायरा तीन अतिरिक्त दिनों के लिए बढ़ाया गया है, ताकि एक भी गर्भवती महिला आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रह जाए।