रायपुर 25 अक्टूबर 2025 / ETrendingIndia / International Rice Conference – 2025
To be held in New Delhi on October 30-31: New rice markets worth ₹1.80 lakh crore will open; export MoUs worth ₹25,000 crore are expected / अंतरराष्ट्रीय चावल सम्मेलन 2025 नई दिल्ली , भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग ने घोषणा की, कि भारत अंतररष्ट्रीय चावल सम्मेलन (बीआईआरसी) 2025, 30-31 अक्टूबर 2025 को भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण से संबंधित एक वैश्विक मंच के तौर पर तैयार किया गया यह सम्मेलन वैश्विक चावल व्यापार में पारदर्शिता, दक्षता और लचीलेपन को मजबूत करने के लिए उत्पादकों, निर्यातकों, आयातकों, नीति निर्माताओं, वित्तपोषकों, रसद विशेषज्ञों, अनुसंधान संस्थानों और संबद्ध सेवा प्रदाताओं को एक साथ लाएगा। स्थिरता, नवाचार और पारदर्शी, नियम-आधारित वाणिज्य विचार-विमर्श के केंद्र में होंगे।
आज नई दिल्ली में भारत अंतररष्ट्रीय चावल सम्मेलन (बीआईआरसी) 2025 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए, एपीडा अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने जानकारी दी कि फिलीपींस, घाना, नामीबिया और गांबिया के विदेश मंत्री इस दो दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादकों और निर्यातकों में एक है, जो 172 से अधिक देशों को चावल की आपूर्ति करता है। इसलिए, बीआईआरसी 2025 हितधारकों को वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का अवसर मिलेगा।
भारतीय चावल निर्यातक संघ (आईआरईएफ) की ओर से आयोजित इस सम्मेलन को कई संबंधित मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों का सहयोग मिला है। यह सम्मेलन भारत भर के 7,500 से अधिक निर्यातकों और इससे जुड़े हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक राष्ट्रीय निकाय है।
सम्मेलन का आयोजन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से किया गया है। एपीडा अधिनियम, 1985 के अंतर्गत यह एक वैधानिक प्राधिकरण है, जिसे चावल सहित लगभग 800 कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने का दायित्व मिला है। सहायक संस्थाओं में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, सहकारिता मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय शामिल हैं।
ओडिशा, तेलंगाना, मेघालय, असम और मणिपुर की राज्य सरकारें भी इस आयोजन को सहयोग कर रही हैं, साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) और सहकारी संस्थाएं जैसे राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल), भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) और कृषक भारती सहकारी कृषि लिमिटेड (कृभको) भी इस आयोजन में सहयोग दे रही हैं।
इस आयोजन में 3,000 से अधिक किसान व किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), 80 से अधिक देशों के 1,000 से अधिक विदेशी खरीदार, और 2,500 निर्यातक, मिल मालिक और इससे जुड़े उद्योगों के हिस्सा लेने की संभावना है।
भारत ने 2024-25 में लगभग 47 मिलियन हेक्टेयर से लगभग 150 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत है।
बेहतर बीज की किस्मों, शानदार कृषि पद्धतियों और विस्तृत सिंचाई कवरेज के चलते औसत पैदावार 2014-15 में 2.72 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में लगभग 3.2 टन प्रति हेक्टेयर हो गई। वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत ने लगभग 12.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत वाले 20.1 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया, जो 172 से अधिक देशों तक गया।
वैश्विक खाद्य प्रणालियों में चावल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, बीआईआरसी 2025 इस विषय पर जोर देता है कि चावल वैश्विक खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है, जिसका उत्पादन 1961 में 216 मिलियन टन से तीन गुना बढ़कर लगभग 776 मिलियन टन हो गया है।
चार बिलियन से अधिक लोग अपनी जीविका और आय के लिए चावल पर निर्भर हैं और लगभग 150 मिलियन छोटे किसान 100 से अधिक देशों में इस फसल की खेती करते हैं।
वैश्विक चावल उद्योग का वैल्यूएशन करीब 330 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो इसे तीसरा सबसे अधिक कारोबार वाला खाद्य उत्पाद बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय चावल सम्मेलन 2025 , चूंकि चावल की खेती संसाधन- प्रधान है, वैश्विक सिंचाई जल का लगभग 24-30 प्रतिशत इस्तेमाल करती है और लगभग 167 मिलियन हेक्टेयर में फैली हुई है, यह सम्मेलन स्थिरता को प्रोत्साहन देने और इस क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए कृषि विज्ञान, सिंचाई, प्रमाणन और पता लगाने की क्षमता में नवाचारों पर चर्चा करेगा।
बीआईआरसी 2025 में विषयगत गतिविधियों और सत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी। इस कार्यक्रम में भारत की समृद्ध चावल विरासत को समेटे एक कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया जाएगा, जिसमें बासमती और गैर-बासमती दोनों किस्मों, ऐतिहासिक जीआई कहानियों, किसानों के विचारों और साथ ही नवाचार को शामिल किया जाएगा।
बीआईआरसी 2025 का लक्ष्य नए चावल आयात बाजारों में ₹1.80 लाख करोड़ का निवेश लाना और ₹25,000 करोड़ वैल्यूएशन के निर्यात समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करना है।
आईआरईएफ और एपीडा की ओर से आईआरआरआई और आईटीसी होटल्स के साथ मिलकर तैयार किया गया एक पाककला अनुभव क्षेत्र, शेफ के प्रदर्शनों और टेस्टिंग काउंटरों के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों में भारतीय चावल का प्रदर्शन करेगा।
जांचकर्ता पैनल और खरीदने वाले क्लीनिक गुणवत्ता और प्राथमिकताओं का आकलन करेंगे, जबकि तत्काल निर्यात ऑनबोर्डिंग सुविधाएं इसे तुरंत ही व्यापार समझौतों में बदलने में मदद करेंगी।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि भारतीय चावल की किस्में लक्षित व्यंजनों में प्रामाणिक, उच्च प्रदर्शन वाले विकल्प हैं, जिससे नए बाजारों में 1.80 लाख करोड़ रुपये की कमाई होगी और इस आयोजन में 25,000 करोड़ रुपये के निर्यात समझौता ज्ञापनों को गति मिलेगी।
सम्मेलन में एक समर्पित एग्रीटेक मंडप होगा, जो लाइव लॉन्च और प्रदर्शन के साथ भारत की पहली एआई-आधारित छंटाई तकनीक प्रस्तुत करेगा।
पारंपरिक रंग छंटाई के उलट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा की मदद से चलने वाली यह नई प्रणाली चावल के दानों के रंग, आकार, माप और संरचना का एक साथ विश्लेषण करती है, जिससे एक ही प्रक्रिया में रंग छंटाई और टूटे हुए अनाज को अलग करना सरल हो जाता है।
यह नवाचार उच्च परिशुद्धता, दक्षता और लागत बचत का वादा करता है, साथ ही बिजली, वर्कफोर्स और जगहों की जरूरतों को भी कम करता है।
एक विशेष महिला उद्यमी, स्टार्टअप और एमएसएमई पैवेलियन में कृषि मूल्य श्रृंखला से जुड़े नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें बीज और इनपुट विकास, जलवायु- अनुकूल कृषि विज्ञान, कटाई -पश्चात तकनीकें, मिलिंग और रंग-ग्रेडिंग प्रणालियां, पैकेजिंग और ब्रांडिंग, क्यूआर और ब्लॉकचेन समाधानों के जरिए गुणवत्ता और पता लगाने की क्षमता, डिजिटल बाजार, और वित्त एवं बीमा उत्पाद शामिल हैं।
इस पैवेलियन में लाइव प्रदर्शन, मेंटरशिप सत्र और नए उद्यमों के लिए निर्यात- ऑनबोर्डिंग के अवसर भी शामिल होंगे।
जम्मू एवं कश्मीर, मणिपुर, तेलंगाना, ओडिशा, मेघालय, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और हरियाणा के राज्य व केंद्र शासित प्रदेश मंडप जीआई और विशेष चावल की किस्मों, संपोषित खेती के तरीकों, प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, रसद गलियारों, निवेश की संभावनाओं और खरीदार से जुड़ाव पहलों पर प्रकाश डालेंगे।
भारत की चावल विविधता को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य के नेतृत्व वाली पहल में, मेघालय सरकार बीआईआरसी 2025 में भाग लेने के लिए अपने पारंपरिक चावल की किस्मों जैसे कि पनाह इओंग (काला चिपचिपा चावल), मिनरी (री-भोई का सुनहरा चावल), मंगसांग चावल, मिनिल और खाव बिरियुन का प्रदर्शन करेगी।
तेलंगाना सुदृढ़ नीतिगत उपायों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर प्रीमियम चावल निर्यात के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरेगा। राज्य का धान उत्पादन केएमएस 2014-15 में 68.17 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर केएमएस 2024-25 में अनुमानित 277.67 लाख मीट्रिक टन हो गया है, जिससे तेलंगाना भारत की निर्यातोन्मुखी कृषि में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो गया है।
राज्य व्यावसायिक चर्चाओं में शामिल होगा और संभावित अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए तेलंगाना सोना (आरएनआर 15048), बीपीटी 5204 (सांबा महसूरी), एमटीयू 1010, और केएनएम 1638 सहित अपनी प्रमुख किस्मों का प्रदर्शन करेगा।
नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) के तत्वावधान में, भारत ऑर्गेनिक्स अपनी ऑर्गेनिक राइस रेंज और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगा।
इस रेंज में दो प्रमुख किस्में, पारंपरिक बासमती और पारंपरिक ब्राउन बासमती, और दस एकल-मूल किस्में जैसे काला नमक (उत्तर प्रदेश), इंद्रायणी (महाराष्ट्र), गोबिंदभोग (पश्चिम बंगाल), ब्लैक राइस (मणिपुर), और लाल मटका (केरल) शामिल हैं।
भारत ऑर्गेनिक्स का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों के लिए निष्पक्ष कारोबार, पारदर्शिता और बेहतर बाजार पहुंच सुनिश्चित करते हुए प्रमाणित, किसान- प्रत्यक्ष, रसायन-मुक्त खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना है।
व्यापार को सरल बनाने और वैश्विक संपर्क बढ़ाने के लिए, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस कार्यक्रम में अपने ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म का प्रचार करेगा। यह पोर्टल निर्यातकों को मूल प्रमाणपत्र, देश-विशिष्ट टैरिफ जानकारी, व्यापार कार्यक्रमों की सूची, उत्पाद और बाजार गाइड, और नेटवर्किंग टूल के लिए एक एकीकृत डिजिटल खिड़की प्रदान करता है, जिससे वे सीधे अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जुड़ सकें और विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए कस्टम माइक्रोसाइट बना सकें।
सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव नई दिल्ली में एक इनक्यूबेशन और कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर होगा। यह केंद्र संपोषित, पुनर्योजी और जलवायु-अनुकूल चावल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा, बीज विकास, खेती और कटाई-पश्चात प्रबंधन में अनुसंधान को प्रोत्साहन देगा।
भारत अंतररष्ट्रीय चावल सम्मेलन अब से वैश्विक चावल मूल्य श्रृंखला में अंतररष्ट्रीय जुड़ाव, नीतिगत संवाद और सहयोग के एक प्रमुख मंच के रूप में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाएगा।
अंतररष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईआरआरआई-एसएआरसी), वाराणसी, रिसर्च एंड नॉलेज पार्टनर है, जबकि ईएंडवाई और एसएंडपी ग्लोबल नॉलेज पार्टनर हैं।
इस आयोजन के भागीदार देशों में फिलीपींस, म्यांमार, नाइजर, कोमोरोस, जॉर्डन, लाइबेरिया, गाम्बिया और सोमालिया शामिल हैं।
