रायपुर 7 अक्तूबर 2025 / ETrendingIndia / Now hospitals will not be able to refuse cashless treatment, the government has given a big gift to central employees and pensioners / CGHS कैशलेस इलाज , केंद्र सरकार ने देश के करीब 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) की दरों में एक दशक बाद बड़ा संशोधन किया है।
इलाज की नई दरें 13 अक्टूबर से लागू हो जाएंगी, जिससे निजी अस्पतालों द्वारा कैशलेस इलाज से इनकार करने की समस्या खत्म होने की उम्मीद है।
सरकार ने अस्पतालों के लिए दरों में औसतन 25-30% की बढ़ोतरी की है और सभी CGHS-पैनलबद्ध अस्पतालों को नई दरें स्वीकार करने का सख्त निर्देश दिया है।
क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?
पिछले कई सालों से यह एक बड़ी समस्या बन गई थी कि CGHS से जुड़े ज्यादातर निजी अस्पताल पुरानी दरों को बहुत कम बताकर कैशलेस इलाज देने से मना कर देते थे। इससे कर्मचारियों और पेंशनर्स को इलाज का खर्च पहले अपनी जेब से देना पड़ता था और बाद में रिफंड के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था।
वहीं, अस्पतालों का तर्क था कि 2014 के बाद से दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था, जबकि मेडिकल खर्चों में कई गुना वृद्धि हो चुकी है। कर्मचारी यूनियनों की लगातार मांग के बाद सरकार ने यह अहम फैसला लिया है।
नई दरें कैसे होंगी तय?
सरकार ने अब एक पारदर्शी और व्यावहारिक फॉर्मूला तैयार किया है, जिसके तहत दरें चार मुख्य कारकों पर आधारित होंगी:
अस्पताल का एक्रेडिटेशन (NABH/NABL): प्रमाणित अस्पतालों को बेहतर दरें मिलेंगी।
शहर की श्रेणी: X, Y और Z श्रेणी के शहरों के लिए अलग-अलग दरें होंगी।
अस्पताल का प्रकार: सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को 15% अधिक रेट मिलेगा।
वार्ड का प्रकार: जनरल वार्ड और प्राइवेट वार्ड की दरों में 5% का अंतर होगा।
अस्पतालों के लिए सख्त निर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया कि जो अस्पताल 13 अक्टूबर तक नई दरों को स्वीकार नहीं करेंगे, उन्हें CGHS पैनल की सूची से हटा दिया जाएगा (डि-एम्पैनल)।
साथ ही, सभी अस्पतालों को 90 दिनों के भीतर नए समझौते (MoA) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा।
कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा फायदा
इस बड़े सुधार के बाद उम्मीद है कि अब पैनल में शामिल अस्पताल CGHS लाभार्थियों को कैशलेस इलाज देने से मना नहीं कर पाएंगे।
इससे लाखों कर्मचारियों और विशेषकर पेंशनर्स को इलाज के लिए तुरंत मोटी रकम का इंतजाम करने की चिंता से मुक्ति मिलेगी और रिफंड की लंबी प्रक्रिया का झंझट भी खत्म हो जाएगा।
यह कदम CGHS प्रणाली को अधिक भरोसेमंद और प्रभावी बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
