रायपुर, 21 अगस्त 2025/ ETrendingIndia / The way has been opened for research and investigation on the tribes of Chhattisgarh, MOU between Guru Ghasidas University and TRKC / छत्तीसगढ़ जनजाति शोध एमओयू , छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में निवास करने वाली जनजातियों पर विशेष शोध और अनुसंधान की नई राह खुल गई है।
छत्तीसगढ़ जनजाति शोध एमओयू , राज्य की जनजातियों की गौरवशाली परंपरा, उनकी संस्कृति और उनके आर्थिक-समाजिक ताने-बाने को लेकर अब विद्यार्थी उच्च स्तरीय शोध कर पाएंगे।
राज्य के गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय और ट्रायबल रिसर्च एण्ड नॉलेज सेंटर नई दिल्ली के बीच इसके लिए महत्वपूर्ण एमओयू हुआ है।
टीआरकेसी विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भारतीय जनजातियों के बारे में शोध कार्याें के लिए महत्वपूर्ण संस्था है।
विश्वविद्यालय के ओर से इस एमओयू पर कुलसचिव प्रो. अभय एस रणदिवे और टीआरकेसी की ओर से छतीसगढ़ प्रभारी श्री राजीव शर्मा ने हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू के तहत् संस्था द्वारा अगले तीन वर्षों तक छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों पर शोध कार्य किए जाएंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कूलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे, वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय युवा कार्यप्रमुख श्री वैभव सुरंगे सहित अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी और गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे।
राज्य की पुरातन और गौरवशाली जनजातीय के कई अनछुए पहलुओं और उनकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में इन शोधों से आम नागरिकों को भी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी।
इन शोध कार्यों से सरगुजा और बस्तर के क्षेत्रों की विभिन्न जनजातियों के आदिकालीन सामाजिक संगठन, उनके अर्थशास्त्र, सुशासन, ग्रामीण उद्यमिता, सतत् विकास और नवाचार के बारे में भी लोगों को जानकारियां मिलेंगी।