गणपति उत्सव शुरू हुआ ,जब देश को चाहिए था स्वराज
अलख जगाने जन-जन को, तिलक ने किया था आगाज…
तब से हर बरस गजानन होते विराजमान है
पीड़ा हरते , प्रभु देते सबको वरदान हैं …
आते हैं जग में खुशियाँ लेकर, हर घर का ये त्योहार है
एकदंत कहो या लम्बोदर, इनकी महिमा अपरंपार है …
ढल जाते हैं , हर आकार में जिसको जैसा भाता है
भोले भाले हैं , हमारे गणपति हर वर्ग से इनका नाता है…
भर जाता है, भरपूर ऊर्जा से शहर – गांव का हर एरिया
जयघोष होता है , चहुंओर जब गणपति बप्पा मोरिया …
गाजे – बाजे संग होता है, विसर्जन नदिया हो या तरिया
ब्रम्हांड में गूंजता है, एक ही स्वर गणपति बप्पा मोरिया …
श्रद्धावत
सुरेश श्रीवास, सृष्टि ब्लॉक्स, अवंति विहार रायपुर
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