शेयर बाजार
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रायपुर/ ETrendingIndia / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष शेयर बाजार की दृष्टि से व्यापक उतार-चढ़ाव से भरा रहा।

शुरुआती 100 दिनों में, बीएसई सेंसेक्स ने लगभग 6,600 अंकों (8.6%) की वृद्धि दर्ज की, जबकि एनएसई निफ्टी 50 में 2,160 अंकों (9.3%) की बढ़ोतरी हुई, जो निवेशकों के बीच सरकार की स्थिरता और आर्थिक सुधारों में विश्वास को दर्शाता है।

हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण बाजार में अस्थिरता देखी गई थी। इस राजनीतिक अनिश्चितता के चलते सेंसेक्स और निफ्टी में एक दिन में लगभग 6% की गिरावट आई, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ीं थी।

इसके बावजूद, रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों ने इन क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया, जिससे संबंधित कंपनियों के शेयरों में तेजी आई।

जनवरी 2025 में प्रस्तुत केंद्रीय बजट में वित्तीय घाटा 4.4% रखा गया, जबकि जीडीपी का 56.1% कर्ज के रूप में दर्शाया गया। इस बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए ₹12.75 लाख तक की आय पर आयकर की पूरी छूट की घोषणा की गई।

हालांकि, बजट के बाद बाजार में अपेक्षित सुधार नहीं देखा गया, और निफ्टी अपने जून 2024 के स्तर पर लौट आया, जिससे निवेशकों में निराशा फैली।

कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में भारतीय शेयर बाजार ने मिश्रित संकेत दिए। जहां कुछ क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, वहीं राजनीतिक अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के कारण बाजार में अस्थिरता बनी रही।

निवेशकों को आगामी नीतिगत निर्णयों और तेजी से हो रही वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर रखने की आवश्यकता है।