ETrendingIndia भारत ने ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) की पहल पर कई स्वदेशी तकनीकों को उद्योग जगत को हस्तांतरित किया गया है। इनमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर, भारतीय रेलवे के लिए स्वदेशी प्रोपल्शन प्रणाली, और कम वोल्टेज डायरेक्ट करंट (LVDC) आधारित हरित ऊर्जा समाधान शामिल हैं। इन नवाचारों से स्वदेशी ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक्स तकनीक को बढ़ावा मिलेगा।

सी-डैक और वीएनआईटी नागपुर द्वारा विकसित 1.5kW वायरलेस EV चार्जर केवल 3 घंटे में 90% तक बैटरी चार्ज करने की क्षमता रखता है, जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा। यह चार्जर सुरक्षा, दक्षता और स्थिरता के साथ डिजाइन किया गया है।

इसके साथ ही भारतीय रेलवे ने सी-डैक और उद्योग साझेदारों के सहयोग से स्वदेशी प्रोपल्शन प्रणाली के विकास हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहल 2030 तक रेलवे के पूर्ण विद्युतीकरण लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम है।

इसी तरह, केरल के के-डिस्क ने सी-डैक की LVDC तकनीक को अपनाकर प्रशासनिक भवनों को ऊर्जा दक्ष और हरित बनाया है। इससे 20-30% तक ऊर्जा की बचत संभव है।

इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत की स्वदेशी ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक्स तकनीक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खुद को स्थापित करने के लिए तैयार है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को वास्तविक धरातल पर उतारने का सशक्त उदाहरण है।