रायपुर/ ETrendingIndia / प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित गीता ज्ञान महोत्सव के तीसरे दिन ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने कहा कि हमें अब ज्ञान का महोत्सव मनाना है। भगवान को ज्ञानी व्यक्ति सबसे अधिक प्रिय है। ज्ञानी व्यक्ति उसे कहते हैं जो कि सुने, समझे और उस पर अमल भी करे।
भगवान ज्ञानी व्यक्ति प्रिय वीणा दीदी ने कहा कि दुखी, अशान्त और परेशान मानव मन को सुखी, शान्त और समाधानचित्त बनाने के लिए भगवान ने गीता में हमारा मार्गदर्शन किया।
हर एक के शरीर में चेतना (आत्मा) है। शरीर की चमड़ी का रंग कैसा भी हो लेकिन सभी की आत्मा एक जैसी है। सब शरीर को देख रहे हैं चेतना को कोई नहीं देख रहा है ? चेतना के कारण ही जीवन है। गीता के ज्ञान द्वारा पहला ज्ञान हमें मिला कि चेतना को देखो।
वीणा दीदी ने कहा कि आज हमने दुनिया को देखना सीख लिया है लेकिन खुद को देखना नहीं सीखा। आईने में खुद को देखते भी हैं तो शरीर को देखते हैं। गीता ज्ञान दाता ने खुद से मिलाते हुए अपने आप (परमात्मा) से मिलाया।
परमात्मा को देखने के लिए दिव्य नेत्र चाहिए। जब हम खुद को पहचान लेते हैं तब परमात्मा को पहचानना आसान हो जाता है।
उन्होंने कहा कि जैसी हमारी भावना होगी वैसी दुनिया दिखेगी। अब हमें अपने अन्दर बदलाव लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भगवान ने गीता में खुद को बदलने के लिए हमें योग सिखलाया है। योगी बनने का आशय यह नहीं है कि सब कुछ छोड़कर बैठ जाओ। भगवान ने हमें कर्मयोग सिखलाया है अर्थात कर्म करते हुए योग करना।