ETrending India / नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) से जुड़े नियमों में कई नीतिगत ढील दी गई है।
इन बदलावों का मकसद भारत में हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग, खासकर सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
इसके अलावा, सरकार ने SEZ नियम 2006 के नियम 5 में संशोधन किया है।
अब सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक निर्माण के लिए SEZ बनाने हेतु न्यूनतम भूमि की जरूरत 50 हेक्टेयर से घटाकर सिर्फ 10 हेक्टेयर कर दी गई है।
इससे निवेशकों को अधिक सुविधा मिलेगी और छोटे क्षेत्र में भी निर्माण संभव हो सकेगा।
इसके साथ ही, नियम 7 में भी बदलाव किया गया है।
अब यदि कोई भूमि केंद्र या राज्य सरकार को गिरवी या लीज पर दी गई है,
तो उसमें बोर्ड ऑफ अप्रूवल छूट प्रदान कर सकता है।
यह नियम निवेश प्रक्रिया को सरल बनाएगा।
नियम 18 में बदलाव कर अब SEZ इकाइयों को घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) में सामान बेचने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे निर्धारित शुल्क अदा करें।
इसी तरह, नियम 53 में संशोधन कर नि:शुल्क प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं
को भी नेट फॉरेन एक्सचेंज (NFE) की गणना में शामिल करने की अनुमति दी गई है।
अंततः, इन सुधारों का उद्देश्य भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में एक मजबूत भागीदार बनाना है।
सरकार का यह कदम निवेश आकर्षित करने और मैन्युफैक्चरिंग को नई दिशा देने के लिए सराहनीय है।
सेमीकंडक्टर निर्माण सुधार