रायपुर 5 नवम्बर 2025/ ETrendingIndia / AI will change India’s future: A new initiative towards a developed India @ 2047 / एआई से बदलेगा भारत , भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने “उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ESTIC 2025)” में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन किया।
इस चर्चा में सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लेकर बताया कि एआई (Artificial Intelligence) कैसे भारत के विकास को नई गति दे सकता है ?
मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने कहा कि एआई एक ऐसी व्यापक तकनीक है, जो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकती है और भारत को 2047 तक “विकसित भारत” बनाने के लक्ष्य की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि तकनीक का असली मूल्य तब है जब उसका असर आम लोगों के जीवन पर दिखे।
इंडिया-एआई मिशन के सीईओ और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के महानिदेशक श्री अभिषेक सिंह ने बताया कि यह मिशन देश में विश्वस्तरीय एआई इकोसिस्टम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके तहत किफायती कंप्यूटिंग, गुणवत्तापूर्ण डेटा, फाउंडेशन मॉडल, स्टार्टअप सहायता और सुरक्षित एआई के लिए आवश्यक उपकरणों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे युवा और प्रतिभाशाली लोग हैं, लेकिन एआई में आगे बढ़ने के लिए हमें सस्ती कंप्यूटिंग, बेहतर डेटासेट और निरंतर निवेश की जरूरत है।”
पैनल चर्चा में प्रमुख तकनीकी विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए। जोहो कॉरपोरेशन के सह-संस्थापक डॉ. श्रीधर वेम्बू ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद भारत में स्वदेशी एआई समाधान विकसित करने की बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा, “कभी-कभी सीमाएँ ही हमें नए और बेहतर रास्ते खोजने के लिए प्रेरित करती हैं।”
निरामई हेल्थ एनालिटिक्स की संस्थापक डॉ. गीता मंजूनाथ ने बताया कि एआई के प्रयोग से अब स्तन कैंसर जैसी बीमारियों की पहचान पहले से कहीं अधिक सस्ती और सुलभ हो गई है। वहीं आईबीएम रिसर्च के डॉ. श्रीराम राघवन ने कहा कि खुले नवाचार तंत्र से एआई की प्रगति को और बढ़ावा मिलेगा।
पैनल ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को एआई विकास में नैतिकता, समावेशन और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी पर भी ध्यान देना होगा, ताकि यह तकनीक केवल आर्थिक प्रगति ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता का माध्यम भी बन सके।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि “इंडिया-एआई मिशन” भारत को वैश्विक स्तर पर एआई नेतृत्व की दिशा में ले जाने की मजबूत नींव रख रहा है।
